समन्वय परिवार सेवा न्यास
पूज्यपाद पद्म भूषण निर्वत्त शंकराचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी का ग्वालियरवासियों पर सदा बड़ा स्नेह रहा और करीब विगत 50 से 55 वर्ष निरन्तर उनका आर्शीवचन मिलता रहा। उनके प्रवचनों और व्यक्तित्व ने हम सबको मोह लिया। सर्वप्रथम राजमाता सिंधिया द्वारा 60 के दशक में उनका नागरिक अभिनन्दन अविस्मरणीय है। उसके बाद तो करीब करीब हर दूसरे या तीसरे वर्ष उनकी कृपा ग्वालियर पर बरसती रही और हम उनकी धारा प्रवाह मधुर वाणी की सरिता में गोते लगाते रहे।
पद्मभूषण महामण्डलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी
निर्वत्त शंकराचार्य, संस्थापक भारत माता मंदिर, हरिद्वार (उ.ख.)
स्वामी सत्यमित्रानंद जी आज भारत ही नहीं अपितु विश्व के एक ऐसे अजातशत्रु महापुरुष हैं जिन्होंने हरिद्वार में पहला भारत माता मंदिर निर्माण कर अद्भुत कार्य किया है। राष्ट्र एवं भारतीय संस्कृति की एकता के लिये उन्होंने जो कार्य किया है वैसा अभी तक कोई और नहीं कर सका ।
स्वामी विवेकानंद के भारत के नवनिर्माण के स्वपन को साकार रूप देने के लिये स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने 26 वर्ष की आयु में शंकराचार्य की पीठ पर अभिषिक्त होने के बाद अपनी प्रथम धर्म -प्रसार यात्रा अफ्रीकी देशों में प्रवासी भारतीयों की के दिलों में भारतीय संस्कृति, संस्कार और राष्ट्रीय चिंतन की धारा प्रवाहित की । रामचरित मानस को आदर्श मानते हुये ‘समन्वय’ का सूत्र दिया स्वामीजी ने इसी भावना और संकल्प से हरिद्वार में सप्त सरोवर क्षेत्र में गंगातट पर “भारत माता मंदिर” की प्रतिष्ठा की जिसका लोकार्पण 1983 में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने किया।